New Delhi, 27 November (NNS): There is a lack of stored stock of milk powder in all the plants. On the other hand, the export of the stock seems nominal due to the higher prices in the international markets. Around one crore litres of liquid milk has been supplied in North India which is around 11 percent less than the previous year due to this reason, the premium quality milk powder also ruling between Rs 295/305 per kg. Presently, there is no possibility of more downtrend in the prices and the market may likely to remain stable at the same level during the coming days.

दूध पाउडर-स्टॉक अधिक नहीं

नई दिल्ली, 27 नवम्बर (एनएनएस) दूध पाउडर का स्टॉक किसी भी प्लांट में ज्यादा नहीं हो पाया है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से निर्यात भी छिटपुट चल रहा है। उत्तर भारत में लिक्विड दूध की आपूर्ति एक करोड़ लीटर दैनिक हो रही है, जो गत वर्ष की तुलना में 11 प्रतिशत कम है। यही कारण है कि प्रीमियम क्वालिटी का दूध पाउडर 295/305 रुपए प्रति किलो के बीच अलग-अलग कंपनियों के चल रहे हैं। वर्तमान भाव में अभी घटने की गुंजाइश नहीं है तथा बाजार यही टिका रहेगा।

Desi ghee: will remain stable

New Delhi, 27 November (NNS): There were around one crore litres of liquid milk reported to be supply on daily basis in North India, from which around 600 metric tonnes of the desi ghee has been producing regularly. This production reduced by 67/68 lakh metric tones as compared to the same period of the previous year. On the other hand, there is lack of butter stock in all the plants, due to this reason, the prices of desi ghee may not show more downfall. It is true that the adulterated stock has also been selling out rapidly in the markets and the market remained stable at the same level due to the weak availability of the stock.

देसी घी-अभी स्थिरता रहेगी

नई दिल्ली, 27 नवम्बर (एनएनएस) उत्तर भारत में लिक्विड दूध की आपूर्ति एक करोड़ लीटर दैनिक हो रही है, जिसमें देसी घी का उत्पादन 600 मीट्रिक टन के करीब दैनिक हो रहा है, यह गत वर्ष की तुलना में 67-68 मीट्रिक टन कम हो रहा है। दूसरी ओर बटर का स्टॉक किसी भी प्लांट में ज्यादा नहीं है, जिस कारण अभी देसी घी में मंदा नहीं लग रहा है। हम मानते हैं कि मिलावटी माल रुकने का नाम नहीं ले रहा है, तथापि नई पुरानी उपलब्धि ज्यादा नहीं होने से बाजार यहां टिका रहेगा।