New Delhi, 21 May (NNS): The prices of premium quality milk powder eased by Rs 10 to Rs 275/285 per kg due to the weak domestic and the export demand despite the lack of liquid milk in North India. There is still 6 months left in the running of the full fledged plants and most of the plants are under maintenance. The supply of liquid milk went down during the coming two months gradually, on seeing this, the market may show uptrend after the stability for some days.

दूध पाउडर-ग्राहकी की भारी कमी

नई दिल्ली, 21 मई (एनएनएस) उत्तर भारत में लिक्विर दूध की कमी के बावजूद भी दूध पाउडर में घरेलू एवं निर्यात मांग कमजोर होने से पिछले सप्ताह 10 रुपए घटकर प्रीमियम क्वालिटी के दूध पाउडर के भाव 275/285 रुपए प्रति किलो रह गए। हम मानते हैं कि प्लांट फुल फ्लैश चलने में अभी 6 महीने का समय लगेगा तथा अधिकतर प्लांट अब मेंटेनेंस में जा चुके हैं। लिक्विड दूध की आपूर्ति धीरे-धीरे 2 महीने में और घट जाएगी, इसे देखते हुए कुछ दिन ठहराव के बाद बाजार फिर से बढ़ जाएगा।

Desi ghee: rapid selling of adulterated stock

New Delhi, 21 May (NNS): The production of desi ghee and butter reported to be weak due to the sluggish supply of liquid milk in North India. On the other hand, the sale of best quality desi ghee seems feeble due to the selling of the adulterated stock at the lower level and it is being traded at the lower level by Rs 50/75 per tin in the markets  as compared to the companies, in these circumstances, the prices of desi ghee may not show more uptrend and the prices may decrease by Rs 100 per quintal anytime, but there is no possibility of more downtrend in the prices. It is expected that the market may increase due to the shortage of liquid milk and the running of the plants for the long time.

देसी घी-मिलावटी माल की बिक्री धड़ल्ले से

नई दिल्ली, 21 मई (एनएनएस) उत्तर भारत में लिक्विड दूध की आपूर्ति घट जाने से देसी घी एवं बटर का उत्पादन ठप पड़ गया है। दूसरी ओर मिलावटी माल सस्ते बिकने से बढ़िया देसी घी की बिक्री पूरी तरह घट गई है तथा कंपनियों की अपेक्षा बाजारों में 50/75 रुपए प्रति टीन नीचे भाव में व्यापार होने लगा है, इन परिस्थितियों को देखते हुए देसी घी की तेजी को विराम लग गया है तथा हो सकता है 100 रुपए किसी समय में मंदा आ जाए, लेकिन जड़ में मंदा नहीं है। लिक्विड दूध की कमी एवं प्लांट चलने में लंबा समय होने से फिर बढ़ जाएगा।